200+ गरीब शायरी इन हिन्दी | Garib Shayari In Hindi | Sad Garib Shayari

Garib Shayari In Hindi – इस Post में हम पढेंगे Best Garib Shayari In Hindi जिसमे आप पढ़ेंगे एक से बढ़कर एक Sad Garib Shayari  जो आपको बहुत ही पसंद आने वाला हैं।

तो दोस्तों स्वागत है आपका फिर से Aloneboy.in में जहा पर हम आपके लिए लेकर आयें बेहतरीन 200+ गरीब शायरी इन हिन्दी जिसकी मदद से अपने अन्दर की Feeling किसी दुसरे के साथ आसानी से share कर सकते हैं। मुझे आशा है की आपको यहाँ पर दिए गए Garib Shayari 2 Lines बहुत ही पसंद आएगी।
garib shayari in hindi

आप इन Garib Shayari In Hindi  को आप अपने Social Media जैसे Whatsapp, Facebook और Instagram आदि जगहों पर भी share कर सकते हैं। 

Garib Shayari In Hindi

garib shayari in hindi

यूँ गरीब कहकर खुद की तौहीन ना कर,

ए बंदे गरीब तो वो लोग है जिनके पास ईमान नहीं है।

यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब,

कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।

garib shayari in hindi

बात मरने की भी हो तो कोई तौर नहीं देखता,

गरीब, गरीबी के सिवा कोई दौर नहीं देखता।

दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ ,

और एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा।

मैं कई चूल्हे की आग से भूखा उठा हूँ,

ऐ रोटी अपना पता बता,

तू जहाँ बर्बाद होती हैं।

garib shayari in hindi

वो रोज रोज नहीं जलता साहब ,

मंदिर का दिया थोड़े ही है गरीब का चूल्हा है।

ठहर जाओ भीड़ बहुत है,

तुम गरीब हो

कुचल दिए जाओगे।

घटाएं आ चुकी हैं आसमां पे…

और दिन सुहाने हैं।

मेरी मजबूरी तो देखो मुझे बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं।

मेरे हिस्से की रोटी सीधा मुझे दे दे ऐ खुदा,
तेरे बंदे तो बड़ा ज़लील करके देते हैं।

ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,

चौखट एक बाप की ही सूनी होती है।

Garibi Shayari In Hindi

amir shayari

ग़रीब सियासत का सबसे पसंदीदा खिलौना है,

उसे हर बार मुद्दा बनाया जाता है हुकूमत के लिए।

वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,

आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं।

खाली पेट सोने का दर्द क्या होता मुझे नही पता,

ना जाने जूठन खा के वो बच्चे कैसे बड़े हो जाते।

 इसे भी पढ़ें

ना जाने मेरा मज़हब क्या है ।

ना हिंदू हु ना मुसलमान

लोग मुझे गरीब कहते हैं

वो तो कहो मौत सबको आती है वरना,

अमीर लोग कहते गरीब था इसलिए मर गया।

garib shayari in hindi

उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।

कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।

ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,

वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं।

कभी निराशा कभी प्यास है कभी भूख उपवास,

कुछ सपनें भी फुटपाथों पे पलते लेकर आस।

कैसे बनेगा अमीर वो हिसाब का कच्चा भिखारी,

एक सिक्के के बदले जो बीस किमती दुआ देता हैं।

गरीबी लड़तीं रही रात भर सर्द हवाओं से,

अमीरी बोली वाह क्या मौसम आया है।

Dard Garib Shayari In Hindi

dard garib shayari

तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,

दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है।

गरीबी का आलम कुछ इस कदर छाया है,

आज अपना ही दूर होता नजर आया है।

जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,

यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता।

कभी जात कभी समाज तो कभी औकात ने लुटा,

इश्क़ किसी बदनसीब गरीब की आबरू हो जैसे।

ऐ सियासत… तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया।

जो छिप गए थे चंद रोज़ की ज़िंदगी कमाने,

मौत ने ढूँढ लिया उनको मुफ़्लिसी के बहाने।

dard garib shayari in hindi

खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से ,

उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है।

बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके ,

कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है।

अजीब सा जादुई नशा होता है गरीब की कमाई में,

जिसकी रोटी खाकर पथरीले रास्तों पर भी सुकून की नींद आ जाती है।

गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं ,

समंदर की तलाशी कोई नही लेता।

बिना किसी गाने के

रेल के इंजन की धुन पर नाचते हैं,

पटरी किनारे बस्ती में बच्चे

अब भी मुस्कराना जानते हैं।

घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है ,

हाँ मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है। 

नये कपड़े, मिठाईयाँ गरीब कहाँ लेते है,

तालाब में चाँद देखकर ईद मना लेते है।

Garib Shayari Image

garib shayari image

भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें ,

उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है।

मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर ,

क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है।

अमीरी पीना सिखाती है,

गरीबी जीना सिखाती है,

कभी घाव हो जाए,तो

कविता सीना सिखाती है।

अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,

जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है।

बना के ताजमहल एक दौलतमंद आशिक ने गरीबों की मोहब्बत का तमाशा कर दिया।

मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना ,

हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर।

अच्छा हुआ जो गरीबी ने संभल के खर्चना सिखाया था,

वर्ना आज उसके जाने पे बे-फ़िज़ूल ही आँसू बह जाते।

garib shayari image

गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका ,

जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका।

गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,

इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है।

चेहरे कई बेनकाब हो जायेंगे ,

ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा है।

मेरे हिस्से की रोटी

सीधा मुझे दे दे ऐ खुदा,

तेरे बंदे तो बड़ा ज़लील करके देते हैं।

सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ से।

महलोंं कि आरजू ये हैं कि बरसात तेज हो।

ना जाने मेरा मज़हब क्या है ।

ना हिंदू हु ना मुसलमान

लोग मुझे गरीब कहते हैं 

चेहरा बता रहा था कि मारा हैं भूख ने।

सक कर रहे थे के कुछ खा के मर गया।

Zindagi Garib Shayari

zindagi garib shayari

मैं कई चूल्हे की आग से भूखा उठा हूँ,

ऐ रोटी अपना पता बता,

तू जहाँ बर्बाद होती हैं।

जो गरीबी में एक दिया भी न जला सका।

एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया।

कैसे बनेगा अमीर वो
हिसाब का कच्चा भिखारी,
एक सिक्के के बदले
जो बीस किमती दुआ देता हैं।

गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में।

तभी तो भगवान खुद बिक जाते हैं बजारो में।

कैसे बनेगा अमीर वो

हिसाब का कच्चा भिखारी,

एक सिक्के के बदले

जो बीस किमती दुआ देता हैं।

zindagi garib shayari

अमीरी का हिसाब तो दिल देख के कीजिये साहब ,

वरना गरीबी तो कपड़ो से ही झलक जाती है। 

बहुत जल्दी सीख लेते हैं,

ज़िन्दगी के सबक,

गरीब के बच्चे बात

बात पर जिद नहीं करते।

भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर ,

गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है। 

खुदा के दिल को भी सुकून आता होगा,

जब कोई गरीब चेहरा मुस्कुराता होगा।

रजाई की रुत गरीबी के आँगन में दस्तक देती है ,

जेब गरम रखने वाले ठण्ड से नहीं मरते। 

ऐ सियासत… तूने भी

इस दौर में कमाल कर दिया,

गरीबों को गरीब

अमीरों को माला-माल कर दिया।

Amir Or Garib Shayari

amir aur garib shayari

पेट की भूख ने जिंदगी के ,

हर एक रंग दिखा दिए। 

जो अपना बोझ उठा ना पाये ,

पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए। 

गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं ,

समंदर की तलाशी कोई नही लेता।

सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को ये कहकर ,

परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर। 

खुले आसमां के नीचे सोकर

भी अच्छे सपने पा लेते है,

हम गरीब है साहेब थोड़े

सब्जी में भी 4 रोटी खा लेते है।

एै मौत ज़रा पहले आना गरीब के घर ,

कफ़न का खर्च दवाओं में निकल जाता है। 

घर में चूल्हा जल सके इसलिए

कड़ी धूप में जलते देखा है ,

हाँ मैंने गरीब की सांस

को गुब्बारों में बिकते देखा है।

amir or garib shayari

छीन लेता हैं हर चीज़ मुझसे ये खुदा।

क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब हैं।

भटकती है

हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर

गरीबी कान छिदवाती है

तिनके डाल देती है

हजारों दोस्त बन जाते है, जब पैसा पास होता है,

टूट जाता है गरीबी में, जो रिश्ता ख़ास होता है।

बहुत जल्दी सीख लेता हूँ

जिंदगी का सबक

गरीब बच्चा हूँ

बात-बात पर जिद नहीं करता

रोज शाम मैदान में बैठ ये कहते हुए एक बच्चा रोता था।

हम गरीब है इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता।

साथ सभी ने छोड़ दिया,

लेकिन ऐ-गरीबी,

तू इतनी वफ़ादार कैसे निकली।

Mohabbat Garib Shayari

mohabbat garib shayari

वो जिसकी रोशनी कच्चे घरों तक भी पहुँचती है,

न वो सूरज निकलता है, न अपने दिन बदलते हैं।

मरहम लगा सको तो किसी

गरीब के जख्मों पर लगा देना ,

हकीम बहुत हैं बाजार

में अमीरों के इलाज खातिर।

शाम को थक कर टूटे झोपड़ी में सो जाता हैं।

वो मजदूर जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता हैं।

ये गंदगी तो महल वालों

ने फैलाई है साहब,

वरना गरीब तो सड़कों

से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं

`अपने मेहमान को पलको पे बिठा लेती हैं।

गरीबी जानती हैं घर में बिछौने कम हैं।

मोहब्बत भी सरकारी नौकरी लगती हैं साहब,
किसी गरीब को मिलती ही नहीं।
 mohabbat garib shayari

बहुत जल्दी सिख लेता हूँ ज़िन्दगी का सबक।

गरीब बच्चा हूँ बात बात पर जिद्द नहीं करता

इसे नसीहत कहूँ या जुबानी चोट साहब ,

एक शख्स कह गया गरीब मोहब्बत नहीं करते। 

`कमी लिबास की तन पर अजीब लगती है,

अमीर बाप की बेटी गरीब लगती है। 

दिमागी रूप से जो गरीब हो जाते है,

वही गरीबों का मजाक उड़ाते है। 

मैंने टूट कर रोते देखा नसीब को,

जब मुस्कुराते देखा मासूम गरीब को। 

 Garib Shayari Hindi

old woman garib shayari

क्या किस्मत पाई है रोटीयो ने भी निवाला बनकर,

रहिसो ने आधी फेंक दी,

गरीब ने आधी में जिंदगी गुज़ार दी। 

अब मैं हर मौसम में खुद को ढाल लेता हूँ,

छोटू हूँ… पर अब मैं बड़ो का पेट पाल लेता हूँ। 

मैं कड़ी धूप में जलता हूँ इस यकीन के साथ।

मैं जलुँगा तो मेरे घर में उजाले होगे।

इस कम्बख़्त मौत ने सारा फासला ही मिटा दिया,

एक अमीर को लाकर गरीब के पास ही लिटा दिया………!!

जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को।

ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाजा भी दे।

भूख से बिलखते हुए वो फिर नहीं सोया ,

एक और रात भारी पड़ी गरीबी पर। 

garib shayari hindi

मजबूरीयाँ हावी हो जाएये जरुरी तो नहीं।

थोड़े बहुत शैख तो गरीब भी रखती हैं।

गरीबी का एहसास जब दिल में उतर जाता है,

गरीब का बच्चा जिद करना भी भूल जाता है। 

सुनो हम तो गरीब ही थे लेकिन।

तुम्हें क्या कमी थी जो हमारा दिल ले गयी।

यहा गरीब को मरने की जल्दी यूँ भी हैं।

के कही कफन महंगा ना हो जाए।

बस एक बात का मतलब आज तक समझ नहीं आया।

जो गरीब के हक के लिए लड़ते हैं वो अमिर कैसे बन जाते हैं।

Sad Garib Shayari 

sab garib shayari

यूँ गरीब कह कर खुद की तौहीन ना कर ऐ बंदे।

गरीब तो वो लोग हैं जिनके पास ईमान नहीं है।

किस्मत को खराब बोलने वालो ।

कभी किसी गरीब के पास बैठ के पुछना जिंदगी क्या हैं।

अमीर के छत पे बैठा कव्वा भी मोर लगता हैं।

गरीब का भुखा बच्चा भी चोर लगता हैं।

यू न झाँका करो किसी गरीब के दिल में।

के वहा हसरतें वेलिबास रहा करती है।

दौलत है फिर भी अमीर नहीं लगते हो,
क्योंकि आप गरीबों-सी सोच रखते हो.
तुम रूठ गये थे जिस उम्र में खिलौना न पाकर,
वो ऊब गया था उस उम्र में पैसा कमा-कमा कर।

कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची, हम गरीबों ने दुःख बेची,

चंद भर सांसे खरीदने के लिए रोज थोड़ी-थोड़ी सी जिन्दगी बेची……

sad garib shayari

अमीरों के शहर में ही गरीबी दिखती है,

छोड़ दो ऐसा शहर जहाँ हवा बिकती है। 

अजीब मिठास है

मुझ गरीब के खून में भी,

जिसे भी मौका मिलता है

वो पीता जरुर है

वो रोज रोज नहीं जलता साहब ,

मंदिर का दिया थोड़े ही है

गरीब का चूल्हा है।

गरीबी लड़तीं रही

रात भर सर्द हवाओं से,

अमीरी बोली वाह

क्या मौसम आया है।

कभी जात कभी समाज

तो कभी औकात ने लुटा,

इश्क़ किसी बदनसीब

गरीब की आबरू हो जैसे।

sad garib shayari

जनाजा बहुत भारी था

उस गरीब का,

शायद सारे अरमान

साथ लिए जा रहा था।

ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,

चौखट एक बाप की ही सूनी होती है !!

ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया

गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया

तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,

दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है

उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।

कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।

sad garib shayari

घर में #चुल्हा जल सकें इसलिए कड़ी_धूप में जलते देखा है,

हाँ मैंने ग़रीब की साँसों को भी #गुब्बारों में बिक़ते देखा है।

अपने #मेहमान को पलकों पे ”बिठा” लेती है,

गरीबी जानती है घर में #बिछौने कम हैं।

कभी #कपड़े के तन पर ‘अजीब’ लगती हैं।

अमीर बाप की बेटी #गरीब लगती हैं।

जब भी “देखता” हूँ किसी गरीब को #हँसते हुए,

यकीनन खुशिओं का ताल्लुक_दौलत से नही होता..

बच्चा_समझ कर खेलते रहे जो #रिश्तों से

उनके “हालात” ना देखो तो अच्छा है

Amir Garib Shayari In Hindi

old man garib shayari

मैंने सुना है कि #गरीबों की मदद करने का सबसे अच्छा तरीका है ये “सुनिश्चित” करना कि आप उनमे से एक_नहीं बन जाते . ||

हमने_कुछ ऐसे भी ‘गरीब’ देखे है

जिनके पास पैसों के #अलावा कुछ भी नही है!

वो गरीब का ”बच्चा” था, इसीलिए #भूखा सो गया| पेट भरा उसका मगर वो तो “अमीर” के घर का कुत्ता था|

माना वो “गरीब” है, थोड़ी गन्दी उसकी_बसती है,

पर सच्ची #मुहब्बत उसके ही दिल में बसती है.

amir garib shayari in hindi

क्या किस्मत पायी उन #रोटियों ने भी,
हलक का निवाला बनकर,
इधर_रईसों से आधी फेंक दी और उधर किसी,
#गरीब ने आधी में ज़िंदगी गुज़ार ली|

खाली ”पेट” सोने का दर्द क्या होता #मुझे नही पता,

ना जाने जूठन खा के वो #बच्चे कैसे बड़े हो जाते।

खुदा ने ”बहुत” कुछ छीना है मुझसे,

लगता है वो गरीब_ज्यादा है मुझसे.

Garib Shayari In Hindi

garib shayari in hindi

ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,

वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं

इसे नसीहत कहूँ या जुबानी चोट साहब

एक शख्स कह गया गरीब मोहब्बत नहीं करते

बहुत जल्दी सीख लेता हूँ जिंदगी का सबक

गरीब बच्चा हूँ बात-बात पर जिद नहीं करता

भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर

गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है

garib shayari in hindi

तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है

दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है

वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,

आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं

वो रोज रोज नहीं जलता साहब

मंदिर का दिया थोड़े ही है गरीब का चूल्हा है

ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के

चौखट एक बाप की ही सूनी होती है

गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका

जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका

अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,

जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है

Garib Shayari In Hindi

garib shayari in hindi

तो इनके ऊपर बनी कुछ दिल को छू जाने वाली शायरी स्टेटस लाइने जो आप लोगों को काफी पसंद आएगी।

गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका ,

जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका।

अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,

जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है।

घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है ,

हाँ मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है।

गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं ,

समंदर की तलाशी कोई नही लेता।

ऐ सियासत… तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,

गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया।

garib shayari in hindi

तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,

दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है।

उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।

कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।

वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,

आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं।

ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,

चौखट एक बाप की ही सूनी होती है।

वो रोज रोज नहीं जलता साहब ,

मंदिर का दिया थोड़े ही है गरीब का चूल्हा है।

दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ ,

और एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा।

garib shayari in hindi

जनाजा बहुत भारी था उस गरीब का,

शायद सारे अरमान साथ लिए जा रहा था।

यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब,

कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।

कैसे मुहब्बत करु बहुत गरीब हूँ साहब।

लोग बिकते हैं और मैं खरीद नहीं पाता।

जो गरीबी में एक दिया भी न जला सका।

एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया।

अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है ,

उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है।

भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर ,

गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है।

Amir Garib Shayari In Hindi

amir garib shayari in hindi

पेट की भूख ने जिंदगी के ,

हर एक रंग दिखा दिए। 

जो अपना बोझ उठा ना पाये ,

पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए।

एै मौत ज़रा पहले आना गरीब के घर ,

कफ़न का खर्च दवाओं में निकल जाता है।

छीन लेता हैं हर चीज़ मुझसे ये खुदा।

क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब हैं।

रोज शाम मैदान में बैठ ये कहते हुए एक बच्चा रोता था।

हम गरीब है इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता।

शाम को थक कर टूटे झोपड़ी में सो जाता हैं।

वो मजदूर जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता हैं।

बहुत जल्दी सिख लेता हूँ ज़िन्दगी का सबक।

गरीब बच्चा हूँ बात बात पर जिद्द नहीं करता।

amir garib shayari in hindi

कमी लिबास की तन पर अजीब लगती है,

अमीर बाप की बेटी गरीब लगती है।

मैं कड़ी धूप में जलता हूँ इस यकीन के साथ।

मैं जलुँगा तो मेरे घर में उजाले होगे।

मजबूरीयाँ हावी हो जाएये जरुरी तो नहीं।

थोड़े बहुत शैख तो गरीब भी रखती हैं।

जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को।

ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाजा भी दे।

यहा गरीब को मरने की जल्दी यूँ भी हैं।

के कही कफन महंगा ना हो जाए।

बस एक बात का मतलब आज तक समझ नहीं आया।

जो गरीब के हक के लिए लड़ते हैं वो अमिर कैसे बन जाते हैं।

amir garib shayari in hindi

यूँ गरीब कह कर खुद की तौहीन ना कर ऐ बंदे।

गरीब तो वो लोग हैं जिनके पास ईमान नहीं है।

किस्मत को खराब बोलने वालो ।

कभी किसी गरीब के पास बैठ के पुछना जिंदगी क्या हैं।

गरीब भूख से मरे तो अमीर आहो से मर जाए।

इनसे जो बच गए वो झूठे रिवाजो से मर जाए।

छुपाता था वो गरीब अपने भूख को गुरबत में।

अब वो भी फकर से कहेगा मेरा रोजा हैं।

दौलत है फिर भी अमीर नहीं लगते हो,

क्योंकि आप गरीबों-सी सोच रखते हो.

सर्दी, गर्मी, बरसात और तूफ़ान मैं झेलता हूँ,

गरीब हूँ… खुश होकर जिंदगी का हर खेल खेलता हूँ।

छीन लेता है हर चीज़ मुझसे ऐ खुदा ,

क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है।

Amir Or Garib Shayari

amir or garib shayari

कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची, हम गरीबों ने दुःख बेची,

चंद भर सांसे खरीदने के लिए रोज थोड़ी-थोड़ी सी जिन्दगी बेची…….!!

तुम रोज TV 📺 पर नेताओं के ताओ देखते हो,

हम गरीब हैं बाजार में बढ़े सब्जियों के भाव देखता हूँ…..!!

अमीरों के शहर में ही गरीबी दिखती है,

छोड़ दो ऐसा शहर जहाँ हवा बिकती है।

गरीबी का एहसास जब दिल में उतर जाता है,

गरीब का बच्चा जिद करना भी भूल जाता है।

यूँ गरीब कहकर खुद की तौहीन ना कर ए बदें ,

गरीब तो वो लोग है जिनके पास ईमान नही।

अमीर लोग तो साहब सपने देखे है raat को,

हम गरीब तो अपने बच्चों के भूखे चेहरे देखते हैं…….!!

इस कम्बख़्त मौत ने सारा फासला ही मिटा दिया,

एक अमीर को लाकर गरीब के पास ही लिटा दिया………!!

amir or garib shayari

अब मैं हर मौसम में खुद को ढाल लेता हूँ,

छोटू हूँ… पर अब मैं बड़ो का पेट पाल लेता हूँ।

भूखे की थाली में भी अनाज होना चाहिए,

साहब !!! गरीबों के लिए भी जिहाद होना चाहिए।

मैंने टूट कर रोते देखा नसीब को,

जब मुस्कुराते देखा मासूम गरीब को।

दिमागी रूप से जो गरीब हो जाते है,

वही गरीबों का मजाक उड़ाते है।

मेरी गरीबी का मजाक कब तक बनाओगे,

अपनी नाकमयाबी को कब तक छुपाओगे।

मैं क्या महोब्बत करूं किसी से,

मैं तो गरीब हूँ। 

लोग अक्सर बिकते हैं,

और खरीदना मेरे बस में नहीं।

amir or garib shayari

इसे नसीहत कहूँ या जुबानी चोट साहब ,

एक शख्स कह गया गरीब मोहब्बत नहीं करते।

हम गरीब लोग है किसी को मोहब्बत के सिवा क्या देंगे ,

एक मुस्कराहट थी,

वह भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली।

मोहब्बत भी सरकारी नौकरी लगती हैं साहब,

किसी गरीब को मिलती ही नहीं।

मोहब्बत भी सरकारी नौकरी लगती हैं साहब,

किसी गरीब को मिलती ही नहीं।

सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से

महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो

जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,

यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता

हम गरीब लोग है किसी को मोहब्बत के सिवा क्या देंगे

एक मुस्कराहट थी,

वह भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली

Garib Shayari Image

garib shayari image

कतार बहुत लम्बी थी इस लिए सुबह से रात हो गयी

ये दो वक़्त की रोटी आज फिर मेरा अधूरा ख्वाब हो गयी

एै मौत ज़रा पहले आना गरीब के घर

कफ़न का खर्च दवाओं में निकल जाता है

जब भी मुझे जियारत करनी होती है

मै गरीब लोगो में बैठ आता हूं

थोड़े से लिबास में ख़ुश रहने का हुनर रखते हैं,

हम गरीब हैं साहब,

अलमारी में तो खुद को कैद करते हैं।

गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं ,

समंदर की तलाशी कोई नही लेता।

रजाई की रूत गरीबी

के आँगन दस्तक देती है,

जेब गर्म रखने वाले ठंड से नही मरते।

garib shayari image

खुदा के दिल को भी सुकून आता होगा,

जब कोई गरीब चेहरा मुस्कुराता होगा।

घटाएं आ चुकी हैं आसमां पे…

और दिन सुहाने हैं

मेरी मजबूरी तो देखो

मुझे बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं

एक ज़िंदगी सड़कों पर,

एक महलों में बसर करती है,

कोई बेफिक्र सोता है

कहीं मुश्किल से गुज़र होती है।

उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।

कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।

ग़रीब सियासत का

सबसे पसंदीदा खिलौना है,

उसे हर बार मुद्दा

बनाया जाता है हुकूमत के लिए।

खाली पेट सोने का दर्द

क्या होता मुझे नही पता,

ना जाने जूठन खा के

वो बच्चे कैसे बड़े हो जाते।

garib shayari image

वो तो कहो मौत

सबको आती है वरना,

अमीर लोग कहते गरीब था

इसलिए मर गया।

चेहरा बता रहा था कि मारा हैं भूख ने।

सक कर रहे थे के कुछ खा के मर गया।

बना के ताजमहल एक दौलतमंद

आशिक ने गरीबों की

मोहब्बत का तमाशा कर दिया।

एै मौत ज़रा पहले आना गरीब के घर ,

कफ़न का खर्च दवाओं में निकल जाता है।

छीन लेता हैं हर चीज़ मुझसे ये खुदा।

क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब हैं।

अमीरों के शहर में ही गरीबी दिखती है,

छोड़ दो ऐसा शहर जहाँ हवा बिकती है।

भूख से बिलखते हुए वो फिर नहीं सोया ,

एक और रात भारी पड़ी गरीबी पर।

Dard Garib Shayari In Hindi

dard garib shayari in hindi

मैंने टूट कर रोते देखा नसीब को,

जब मुस्कुराते देखा मासूम गरीब को।

दिमागी रूप से जो गरीब हो जाते है,

वही गरीबों का मजाक उड़ाते है।

उसने यह सोच कर अलविदा कह दिया।

गरीब लोग हैं मुहब्बत के सिवा क्या देंगे।

मोहब्बत भी सरकारी नौकरी लगती हैं साहब,

किसी गरीब को मिलती ही नहीं।

ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,

चौखट एक बाप की ही सूनी होती है !!

जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,

यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता.

तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,

दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है

dard garib shayari in hindi

उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।

कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।

गरीबी बन गई तश्हीर का सबब आमिर,

जिसे भी देखो हमारी मिसाल देता है।

शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है

वो मजदूर, जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है

अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,

जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है

उसने यह सोचकर अलविदा कह दिया

गरीब लोग हैं, मुहब्बत के सिवा क्या देँगे

बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके

कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है

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 Last Word

तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह Garib Shayari In Hindi मुझे आशा कि आपको यह Sad Garib Shayari आपको बहुत ही पसंद आयी होगी। 

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